🌑 सूर्य ग्रहण क्यों लगता है और सूर्य ग्रहण तथा चंद्र ग्रहण में क्या अंतर है?

सूर्य ग्रहण क्यों लगता है 2025
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प्रस्तावना:
प्रकृति में घटने वाली खगोलीय घटनाएं सदियों से मानव के लिए रहस्य और जिज्ञासा का विषय रही हैं। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण ऐसी ही दो अद्भुत घटनाएं हैं जो समय-समय पर देखने को मिलती हैं। हालांकि ये दोनों ग्रहण अलग-अलग स्थितियों में घटते हैं, लेकिन इनका वैज्ञानिक कारण जानना बेहद रोचक है।


🌞 सूर्य ग्रहण क्यों लगता है?

सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, जिससे कुछ समय के लिए सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता। जब यह स्थिति आती है, तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और वही सूर्य ग्रहण कहलाता है।

सूर्य ग्रहण की स्थिति:

  • यह घटना केवल अमावस्या के दिन ही संभव होती है।
  • जब चंद्रमा की छाया पृथ्वी की सतह पर पड़ती है, तो हम उस भाग में सूर्य को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढका हुआ पाते हैं।

सूर्य ग्रहण के प्रकार:

  1. पूर्ण सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है।
  2. आंशिक सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य का कुछ हिस्सा ही ढकता है।
  3. वलयाकार (Annular) ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य के बीच में आता है, लेकिन उसका व्यास सूर्य से छोटा होता है, जिससे सूर्य का किनारा एक चमकती अंगूठी की तरह दिखता है।

🌕 चंद्र ग्रहण क्या होता है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस कारण चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढका हुआ दिखाई देता है।

चंद्र ग्रहण की स्थिति:

  • यह घटना केवल पूर्णिमा के दिन होती है।
  • जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तो वह लाल या ताम्रवर्णी दिखने लगता है, जिसे “ब्लड मून” भी कहा जाता है।

चंद्र ग्रहण के प्रकार:

  1. पूर्ण चंद्र ग्रहण – जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में आ जाता है।
  2. आंशिक चंद्र ग्रहण – जब चंद्रमा का कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया में आता है।
  3. उम्ब्रल और पेनुम्ब्रल ग्रहण – जब चंद्रमा पृथ्वी की बाहरी या आंशिक छाया में आता है।

🌗 सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण में अंतर

विशेषतासूर्य ग्रहणचंद्र ग्रहण
कब होता है?अमावस्या कोपूर्णिमा को
कौन किसके बीच आता है?चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीचपृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच
किस पर छाया पड़ती है?पृथ्वी परचंद्रमा पर
दिन/रात में घटितदिन मेंरात में
देखने की संभावनाकेवल कुछ स्थानों सेपृथ्वी के आधे हिस्से से देखा जा सकता है
सुरक्षा उपायबिना चश्मे के देखना हानिकारकबिना सुरक्षा के भी देखा जा सकता है

🧠 निष्कर्ष:

सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही ब्रह्मांडीय घटनाएं हैं, जो खगोल विज्ञान की गहराइयों को समझने में मदद करती हैं। यह घटनाएं न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी इनका विशेष महत्व है। परंतु इन घटनाओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों को जानकर हम इनसे जुड़ी भ्रांतियों और अंधविश्वासों से मुक्त हो सकते हैं।


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